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लेखनी कहानी -25-Feb-2022

इज़्ज़त शोहरत उहदे मनसब दौलत के अंबारों मैं]

जो चाहो मिल जाएगा वो दुन्या के बाज़ारों मैं


मेरे अंदर तन्हाई का जैसे कोई सेहरा है
खुडी को तनहा पाता है मे भी भरे बाजारो मे

कल तक जिन को गिनते थे सब बस्ती के सालारो मे 
आज उन्ही का जिक्र सुना है कातिल और गददारो मे

चाहा था ये राज हमारे हम तक ही महदूद  रहे
लेकिन अपना चेहरा भी अब शामिल है अब अखबारो।मे

जिस ने मुसलसल फाको मे भी हाथ नही फैलाया है
राशिद ऐसे मुफ़लस को तुम लिख देना तुम खुद्दारो मे

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5 Comments

Waahhhh में,,,, खुदी,,, आदि सही कर दें

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Swati chourasia

11-Mar-2022 07:01 PM

Very beautiful 👌

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Zakirhusain Abbas Chougule

25-Feb-2022 11:36 PM

Wah Dr. Rashid sahab bahut khoob !

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